जयपुर। रत्न एवं आभूषण उद्योग राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है, जो राजस्थान के जीडीपी का 17 प्रतिशत है। जयपुर ज्वैलरी शो (जेजेएस) युवाओं के स्किल डवलपमेंट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्हें रत्न एवं आभूषणों की समृद्ध विरासत को बनाए रखने और आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है। विश्व का सबसे बड़ा जेम बोर्स जयपुर में स्थापित किया जाना चाहिए और राज्य सरकार इस पहल का समर्थन करेगी। यह बात राजस्थान के उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री, कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने आज 20वें जयपुर ज्वैलरी शो के उद्घाटन के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कही।
राठौड़ ने जयपुर एयरपोर्ट के पास 100 एकड़ की जगह पर दिल्ली के भारत मंडपम जैसी कन्वेंशन सुविधा विकसित करने का भी प्रस्ताव रखा। उन्होंने घरेलू अवसरों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बाजारों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने वैश्विक बाजार की मांग के अनुसार उत्पादन को व्यवस्थित करने के लिए टेक्नोलॉजी का लाभ उठाने के महत्व पर बल दिया। इसके अतिरिक्त, विश्वास निर्माण करने तथा वैश्विक अपील बढ़ाने के लिए स्टोरी टेलिंग तथा प्रत्येक उत्पाद की प्रामाणिकता प्रदर्शित करने के महत्व पर प्रकाश डाला।
नेशनल जेम्स एंड ज्वैलरी काउंसिल ऑफ इंडिया (एनजीजेसीआई) के चेयरमैन, प्रमोद डेरेवाला ने कहा कि जयपुर के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर प्रकाश डालते हुए बताया कि जयपुर में 4 किलोमीटर के दायरे में दो स्पेशल इकोनॉमिक जोन्स (सेज), एक एक्सपोर्ट प्रमोशन इंडस्ट्रीयल पार्क (ईपीआईपी), जेम्स एंड ज्वेलरी इंस्टीट्यूट, ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, वर्ल्ड क्लास लेबोरेटरी और जेम बोर्स स्थापित किए जा रहे हैं।
ऑल इंडिया जेम एंड ज्वैलरी डोमेस्टिक काउंसिल के चेयरमैन, संयम मेहरा ने कहा कि यहां आभूषणों का अद्वितीय प्रदर्शन है और जेजेएस सभी अंतरराष्ट्रीय शो को कड़ी टक्कर दे रहा है। जेजेएस अब देश का ‘कुंदन मीना कैपिटल’ बन गया है। जीजेसी – ऑल इंडिया जेम एंड ज्वैलरी डोमेस्टिक काउंसिल रत्न एवं आभूषणों को बढ़ावा देने के लिए जेजेएस के साथ मिलकर काम कर रही है। उन्होंने आगे बताया कि इस वर्ष जोनल काउंसिल मीटिंग (जेडसीएम) में 45 से अधिक जीजेसी सदस्य भाग लेंगे।
जेम एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी), रीजनल चेयरमैन, निर्मल कुमार बरड़िया ने घोषणा की, कि आगामी जेम बोर्स का क्षेत्रफल 43,828 वर्ग मीटर होगा, तथा इसका कुल निर्माण क्षेत्र 30 लाख वर्ग फीट होगा। इसके शुरु हो जाने पर 60,000 से अधिक लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है।
जेजेएस के मानद सचिव, राजीव जैन ने इस वर्ष की जेजेएस की विशेषताओं और परंपराओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वर्ष 2003 में जहां मात्र 67 बूथ थे, वहीं इस वर्ष 1200 से अधिक बूथ हैं। जेजेएस एक ही छत के नीचे विविधता लाकर आगंतुकों को शोरूम जैसा अनुभव देता है, तथा ज्वैलरी स्टूडेंट्स और डिजाइनरों को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए महत्वपूर्ण मंच प्रदान करता है। 95 फीसदी एग्जीबिटर्स हर वर्ष वापस आकर जेजेएस में भाग लेते हैं, जो उनके विश्वास और प्रतिबद्धता का प्रतीक है।उन्होंने बताया कि जेजेएस 2024 इस वर्ष नवरत्नों में प्रमुख रत्न ‘रूबी’ पर केंद्रित है।
राजस्थान के जीडीपी का 17 प्रतिशत रत्न एवं आभूषण उद्योग से प्राप्त होता है- राज्यवर्धन सिंह राठौड़
