जयपुर। बालाजी गोशाला संस्थान, सालासर एवं विद्याधर नगर स्टेडियम आयोजन समिति की ओर से स्टेडियम में आयोजित नौ दिवसीय राम कथा में स्वामी रामभद्राचार्य ने भगवान राम से जुड़े कई गूढ़ रहस्य बताए। तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि माया एक ठगिनी है जिसने जीव को न जाने कितने रूपों में फंसा लिया है। इससे बचने का एक मात्र उपाय है भगवान का नाम जप और स्मरण। संत कबीर ने मायामोह के प्रति सजग रहने का संदेश दिया है। कर्मण्येवाधिकारस्ते मां फलेषुकदाचन’ अर्थात व्यक्ति को कर्म करने का अधिकार तो है, कर्मफल पर नहीं। इस श्लोक से श्रीकृष्ण अर्जुन को बता रहे हैं कि कर्मफल के लिए कर्म नहीं करना चाहिए। कर्मों के द्वारा ही भाग्य में परिवर्तन लाया जा सकता है। दान-पुण्य, ईश्वर आराधना एवं अन्य शुभ कर्मों से दुख में कमी लाई जा सकती है।

अहम ही सबसे बड़ा वहम है। अहम से बचें। हमें आजादी तो मिल गई है लेकिन वैचारिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता नहीं मिली है। इंसान को जातियों में मत बांटो। हाल ही इसका असर उत्तरप्रदेश में भी नजर आया। पंथ अनेक हो लेकिन हिंदू एक हो। एकता से सबकुछ पाना संभव है। भगवान राम ने सबको एक साथ जोड़कर संगठन खड़ा किया। अहंकार का त्याग। प्राणायाम करें, ध्यान लगाएं, अनावश्यक बातों में न उलझें। भगवान सत्य बोलते हैं, प्रिय बोलते हैं और हितैषी बोलते हैं। हमें भी ईश्वर के इस संदेश को अपनाना चाहिए। तभी माता-पिता और गुरु का आशीर्वाद मिलेगा।

उन्होंने कहा कि कश्मीर हमारे देश का अभिन्न अंग है। इसे कोई अलग नहीं कर सकता। जब तक जगदगुरु रामभद्राचार्य का यह त्रिदंड रहेगा। भारत की ओर कुदृष्टि रखने वालों की आंख निकाल कर रख दी जाएगी। उन्होंने कहा कि भगवान राम ने देश को एक करने का काम किया था, लेकिन हमारे देश का दुर्भाग्य देखिए कि पहले प्रधानमंत्री ने देश को बांटने का काम कर दिया। कश्मीर हमारे भारत का मुकुटमणि है।
जयपुर में स्वामी ने कहा कि आजकल बच्चों का नाम कुछ भी रख देते है। पहले बड़े लोग जो बच्चों का नाम रख देते थे। बच्चों में वह गुण आ जाता है। मेरी माता ने बचपन में मेरा नाम गिरिधर लाल रखा था। इसका अर्थ है पर्वत को उठाने वाला। मैंने पत्थर वाला पर्वत धारण नहीं किया, लेकिन दिव्यांगों को देश में सम्मान दिलवाने का काम किया।

जल्द ही मथुरा में विराजें छोटे ठाकुर- कुमार विश्वास
राम कथा मर्मज्ञ कुमार विश्वास ने कहा कि 500 वर्षों बाद भगवान राम को अपने श्री विग्रह में देखा है। उसी प्रकार त्रिलोक के छोटे ठाकुर जो मथुरा में विराज रहे हैं, वह भी स्वतंत्र भाव से विराजें ऐसी कामना है। कार्यक्रम संयोजक राजन शर्मा व आयोजन समिति सचिव अनिल संत ने बताया कि किन्नर अखाड़ा प्रमुख आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी, काशी विश्वनाथ के पुजारी श्रीकांत मिश्र व देवस्थान बोर्ड के अध्यक्ष भंवरलाल पुजारी ने आरती की।
राम कथा की फोटोज और वीडियो ग्राफी रॉयल स्टूडियो विद्याधर नगर की ओर से की जा रही है।