प्रस्ताव प्राप्त होने पर अतिरिक्त शिथिलता दिए जाने पर होगा विचार- मंजू राजपाल
जयपुर। सहकारिता विभाग की प्रमुख शासन सचिव एवं रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां श्रीमती मंजू राजपाल ने कहा कि राज्य सरकार की बजट घोषणा के अनुरूप राज्य की शेष रही सभी ग्राम पंचायतों में ग्राम सेवा सहकारी समितियों का गठन किया जाना है। इन समितियों के गठन से राज्य में सहकारिता का नेटवर्क मजबूत होगा तथा अधिक लोगों तक सहकारिता की योजनाओं का लाभ पहुंच पाएगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इन समितियों के गठन के कार्य में तेजी लाते हुए निर्धारित समय अवधि से पूर्व शत प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने के प्रयास किये जाएं।
श्रीमती राजपाल शासन सचिवालय स्थित कक्ष से वीसी के माध्यम से नवीन ग्राम सेवा सहकारी समितियों के गठन के संबंध में आयोजित समीक्षा बैठक को सम्बोधित कर रहीं थीं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बहुउद्देशीय ग्राम सेवा सहकारी समितियों की स्थापना के लिए सदस्य संख्या एवं न्यूनतम हिस्सा राशि के मापदण्डों में 50 प्रतिशत का शिथिलन दिया गया है, जिससे लक्ष्यों की प्राप्ति में आसानी होगी। नवीन समिति की स्थापना के लिए अब न्यूनतम सदस्य संख्या 150 एवं न्यूनतम हिस्सा राशि 1.50 लाख रुपये होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कम जनसंख्या घनत्व वाले जिलों में प्रस्ताव मिलने पर और भी शिथिलता दिए जाने पर विचार किया जा सकता है।
प्रमुख शासन सचिव ने कहा कि समिति गठन के मापदण्डों में दी गई शिथिलता से पंचायतीराज जनप्रतिनिधियों एवं जिला परिषद् सीईओ आदि को भी पत्र लिखकर अवगत करवाया जाना चाहिए ताकि इसका अधिकाधिक लाभ मिल सके। साथ ही, समिति गठन के संबंध में आयोजित होने वाली बैठकों में संबंधित विभागों यथा- पंचायतीराज विभाग एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों को भी आमंत्रित किया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि समिति गठन के लिए प्रस्ताव तैयार होने के बाद उन्हें स्वीकृति के लिए अविलम्ब भिजवाया जाना सुनिश्चित करें। चूंकि सभी शेष रही ग्राम पंचायतों में ग्राम सेवा सहकारी समितियों का गठन होना है, अत: केवल माहवार निर्धारित लक्ष्यों पर फोकस करने की बजाय समानान्तर रूप से सभी शेष ग्राम पंचायतों में गठन की प्रक्रिया जारी रखें।
श्रीमती राजपाल ने कहा कि एक अप्रेल से बाद राज्य में लगभग 118 नवीन ग्राम सेवा सहकारी समितियों का गठन हो चुका है। इस कार्य में तेजी लाने के लिए सभी अतिरिक्त रजिस्ट्रार (खण्ड) नियमित रूप से इसकी समीक्षा करें। जिन जिलों में समिति गठन के लक्ष्य अधिक हैं, उन जिलों के लिए अलग रणनीति होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जिन जिलों में खनन क्षेत्र अधिक है एवं किसानों की संख्या कम है, वहां महिला समितियां बनाई जा सकती हैं। साथ ही, आदिवासी क्षेत्रों में वन धन विकास केन्द्रों से समन्वय कर ग्राम सेवा सहकारी समितियां गठित की जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि मूल समिति से सदस्य पृथक् कर समिति बनाने की बजाय 150 नये सदस्यों को शामिल कर समिति गठन के प्रयास किये जाएं।
शेष रही समस्त ग्राम पंचायतों में होगा ग्राम सेवा सहकारी समितियों का गठन
