जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने निजी कॉलोनियों में उचित जल निकासी, बिजली और पानी की सुविधाओं के बिना भूखंड और मकान बेचे जाने पर चिंता जताई। साथ ही राज्य सरकार, विकास प्राधिकरणों तथा शहरी निकायों को निर्देश दिया कि स्वीकृत निजी कॉलोनियों में सभी निर्माण नियमों का पालन किए बिना किसी भी डवलपर/बिल्डर को भूखंड और मकान बेचने की अनुमति नहीं दी जाए। कोर्ट ने कहा, प्राधिकरण जल निकासी, बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करें, उसके बाद ही कॉलोनी में निवास की अनुमति दी जाए। सरकार, प्राधिकरण व निकाय सुनिश्चित करें कि खरीदारों के साथ धोखा न हो, योजना के अनुसार निर्माण हो।
नगरीय विकास और आवासन विभाग (यूडीएच) के सचिव को राज्य के सभी विकास प्राधिकरणों और निकायों को इस बारे में आवश्यक निर्देश जारी करने को कहा गया है।
मुख्य न्यायाधीश एम एम श्रीवास्तव और न्यायाधीश मदन गोपाल व्यास की खंडपीठ ने अंसल सुशांत सिटी और सुशांत लोक रेजिडेंट्स वेलफेयर सोसाइटी के निवासियों की जनहित याचिकाओं पर यह आदेश दिया। अब सुनवाई इसी माह के अंतिम सप्ताह में होगी। याचिकाओं में जोधपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) की ओरे से स्वीकृत दोनों आवासीय कॉलोनियों में पेयजल सहित अन्य बुनियादी सुविधाओं की कमी का मुद्दा उठाया। प्राधिकरण की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश पंवार नेकहा कि राजस्थान टाउनशिप नीति, 2010 के तहत 10 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में डवलपर को आवश्यक सुविधाओं का विकास करना अनिवार्य है। उस के बाद ही पूर्णता प्रमाणपत्र दिया जाता है। खंडपीठ ने सवाल उठाया कि प्राधिकरण ने बिना सुविधाएं सुनिश्चित किए भूखंड मकान बेचने की अनुमति कैसे दी।
पहले सुविधाएं, फिर बिकें भूखंड-मकान: राजस्थान हाईकोर्ट
